पांच हिस्सों में विविध मधुबाला-प्रसंग ।
प्रस्तुत है..मधुबाला- चार.
मधुबाला -चार

इसीलिए अस्सी के होकर
देवानंद हैं अठरा के ,
क्योंकि हर नवबाला में वह
पा जाते हैं ‘ मधुबाला ‘।


क्यों हुसैन मकबूल फिदा की
गजगामिनी माधुरी बनी ?
वे भी देख रहे थे उसमें
अगली पिछली ‘मधुबाला ‘ ।


दादामुनि की बनी नायिका
नाथ बने छोटे भैया ,
सबकी नैया भींग भागकर
डुबा गई फिर ‘ मधुबाला ‘।
दादा के कमरे में लटकी
पापा के कमरे में है ,
बच्चों के कमरों में देखी
सबने लटकी ‘ मधुबाला ‘।

कितनी सजी हुई हैं उसके
चित्रों से अध्ययनशाला ,
जैसे विद्या में रस भरती
लटके लटके मधुबाला ।
Waah...Madhubala,shayad har purushke jeevan ka avibhajya ang lagtee hai!
ReplyDeleteबहुत खूब।
ReplyDeleteसभी टिप्पणिकारों का हार्दिक धन्यवाद!
ReplyDeleteनववर्ष की असंख्य शुभकामनाएं स्वीकारें।