भारतीय परिदृश्य मधुबालाओं और उनकी चर्चा से भरा हुआ है। मधुबाला अंग्रेजी में बार गर्ल है। एक मधुबाला वह भी थी जो आज तक अपने सौंदर्य और अभिनय के लिए जानी जाती है। जिसका दुखांत हुआ..प्रेम की असफलता और तरस का दाम्पत्य उसके हिस्से में रहा । मुगलेआजम की अनारकली ही जैसे उसका पर्याय बन गई।
पांच हिस्सों में विविध मधुबाला-प्रसंग प्रस्तुत है..मधुबाला- दो
‘अरुण ये मधुमय देश ‘ कहा क्यों
मधु-प्रसाद जयशंकर ने ?
किसे ‘ जुही की कली ‘ कहा था
सरस निराला के स्वर ने ?
‘चारु चंद्र की चंचल‘ किरणों
में बैठा था ‘ साधक ‘ कौन ?
गुप्त मैथिलीशरण बताएं
मधु-चंद्रिका का आशय मौन ।
किसकी संस्मृति में नौका ले
करने निकले पंत विहार ?
छायावादी कवि करते थे
किसकी छाया में अभिसार ?
काहे ‘मधुशाला‘ लिख बैठे
लाला हरीवंश बच्चन ?
वे थे ‘ मधुबाला ‘ के घायल
कहते हैं सारे लक्षण ।
पी लेते वे घर में छुपकर
क्यों जाते थे ‘ मधुशाला ‘ ?
भुतहा मधुशाला लगती यदि
वहां न होती ‘मघुबाला ‘।
Saturday, November 21, 2009
Saturday, November 7, 2009
मधुबाला -एक
भारतीय परिदृश्य मधुबालाओं और उनकी चर्चा से भरा हुआ है। मधुबाला अंग्रजी में बार गर्ल है। एक मधुबाला वह भी थी जो आज तक अपने सौंदर्य और अभिनय के लिए जानी जाती है। जिसका दुखांत हुआ..प्रेम की असफलता और तरस का दाम्पत्य उसके हिस्से में रहा । मुगलेआजम की अनारकली ही जैसे उसका पर्याय बन गई।
पांच हिस्सों में विविध मधुबाला-प्रसंग प्रस्तुत है..
मधुबाला -एक
दुनिया भर के मधु-प्रेमी गण
मधुशाला में आ बैठे ,
सबको हंसहंस लुभा रही है
मधु से मादक मधुबाला
मधुशाला में मदतम मधु के
भांति भांति के घटक भरे ,
मधुशाला की प्राण है लेकिन
चलित-चषक सी मधुबाला ।
आंखों का सुख ,मन का सुख है
कण्ठ तरल करनेवाली ,
शीश-चूल से चरण शिरा तक
मधुकंपन भरने वाली ।
पहुंच उदर में मस्तक तक तो
जाती बहुत बाद हाला ,
पलक झपकते मंद हृदय में
गति भर देती मधुबाला ।
कौन उठाने जाता प्याला ,
सूनी रहती मधुशाला ,
अगर न भीतर हंसती मिलती
इठलाती सी मधुबाला ।
क्रमशः
पांच हिस्सों में विविध मधुबाला-प्रसंग प्रस्तुत है..
मधुबाला -एक
दुनिया भर के मधु-प्रेमी गण
मधुशाला में आ बैठे ,
सबको हंसहंस लुभा रही है
मधु से मादक मधुबाला
मधुशाला में मदतम मधु के
भांति भांति के घटक भरे ,
मधुशाला की प्राण है लेकिन
चलित-चषक सी मधुबाला ।
आंखों का सुख ,मन का सुख है
कण्ठ तरल करनेवाली ,
शीश-चूल से चरण शिरा तक
मधुकंपन भरने वाली ।
पहुंच उदर में मस्तक तक तो
जाती बहुत बाद हाला ,
पलक झपकते मंद हृदय में
गति भर देती मधुबाला ।
कौन उठाने जाता प्याला ,
सूनी रहती मधुशाला ,
अगर न भीतर हंसती मिलती
इठलाती सी मधुबाला ।
क्रमशः
Subscribe to:
Posts (Atom)