मधुबाला की अंतिम पांचवीं किस्त
निष्कर्ष
अब भी नयी पीढ़ियां जिसके भित्ति -चित्र लटकाती है ,
घर में घुसते सबसे पहले दृष्टि उसी पर जाती है ।
मधुशाला में , नटशाला में ,सुर संगीतालय में है ,
वह आंखों में पट्टी बांधे देखो न्यायालय में है ।
मधु का चित्र नहीं बनता है ,मधुशाला का कैसा चित्र ?
अरे चषक को कौन देखता ? मधुबाला के चित्र विचित्र ।
मधुशाला जड़ ,मधु जड़ ,जड़ है रौनक ,जड़ है मधु-प्याला
पीनेवाला भी अधजड़ है , पूरी जीवित मधुबाला ।।
जन्म न लेती और न मरती ,ना बूढ़ी हो पाती है ,
मधुबाला कहते ही मन में षोड़सबाला आती है ।
सबके सपने में आती है सबके मन में रहती है ,
चाहे मन बंजर हो वह तो ,अमिय-सरित सी बहती है ।
लोक है मधुशाला तो लौकिक ललक ,लालसा ,लोभ भी हो ,
यही सोचकर परलौकिक ने भिजवायी है ‘ मधुबाला ‘ ।
Sunday, December 27, 2009
Monday, December 21, 2009
मधुबाला -चार
भारतीय परिदृश्य मधुबालाओं और उनकी चर्चा से भरा हुआ है। मधुबाला अंग्रेजी में बार गर्ल है। एक मधुबाला वह भी थी जो आज तक अपने सौंदर्य और अभिनय के लिए जानी जाती है। जिसका दुखांत हुआ..प्रेम की असफलता और तरस का दाम्पत्य उसके हिस्से में रहा । मुगलेआजम की अनारकली ही जैसे उसका पर्याय बन गई।
पांच हिस्सों में विविध मधुबाला-प्रसंग ।
प्रस्तुत है..मधुबाला- चार.
मधुबाला -चार

इसीलिए अस्सी के होकर
देवानंद हैं अठरा के ,
क्योंकि हर नवबाला में वह
पा जाते हैं ‘ मधुबाला ‘।


क्यों हुसैन मकबूल फिदा की
गजगामिनी माधुरी बनी ?
वे भी देख रहे थे उसमें
अगली पिछली ‘मधुबाला ‘ ।

दादामुनि की बनी नायिका
नाथ बने छोटे भैया ,
सबकी नैया भींग भागकर
डुबा गई फिर ‘ मधुबाला ‘।

दादा के कमरे में लटकी
पापा के कमरे में है ,
बच्चों के कमरों में देखी
सबने लटकी ‘ मधुबाला ‘।
कितनी सजी हुई हैं उसके
चित्रों से अध्ययनशाला ,
जैसे विद्या में रस भरती
लटके लटके मधुबाला ।
पांच हिस्सों में विविध मधुबाला-प्रसंग ।
प्रस्तुत है..मधुबाला- चार.
मधुबाला -चार

इसीलिए अस्सी के होकर
देवानंद हैं अठरा के ,
क्योंकि हर नवबाला में वह
पा जाते हैं ‘ मधुबाला ‘।


क्यों हुसैन मकबूल फिदा की
गजगामिनी माधुरी बनी ?
वे भी देख रहे थे उसमें
अगली पिछली ‘मधुबाला ‘ ।


दादामुनि की बनी नायिका
नाथ बने छोटे भैया ,
सबकी नैया भींग भागकर
डुबा गई फिर ‘ मधुबाला ‘।
दादा के कमरे में लटकी
पापा के कमरे में है ,
बच्चों के कमरों में देखी
सबने लटकी ‘ मधुबाला ‘।

कितनी सजी हुई हैं उसके
चित्रों से अध्ययनशाला ,
जैसे विद्या में रस भरती
लटके लटके मधुबाला ।
Thursday, December 3, 2009
मधुबाला -तीन
भारतीय परिदृश्य मधुबालाओं और उनकी चर्चा से भरा हुआ है। मधुबाला अंग्रेजी में बार गर्ल है। एक मधुबाला वह भी थी जो आज तक अपने सौंदर्य और अभिनय के लिए जानी जाती है। जिसका दुखांत हुआ..प्रेम की असफलता और तरस का दाम्पत्य उसके हिस्से में रहा । मुगलेआजम की अनारकली ही जैसे उसका पर्याय बन गई।
पांच हिस्सों में विविध मधुबाला-प्रसंग ,
प्रस्तुत है..मधुबाला- तीन

पुरुषों की प्रत्येक सफलता
के पीछे ‘मधुबाला‘ एक ,
नहीं चाहता कौन बताओ
‘मधुबाला‘ से प्याला एक ?
नए रूप में ,नए वेष में ,
युग युग में है ‘ मधुबाला ‘ ,
कालातीत है ,अविनासी है ,
सीमापार है ‘ मधुबाला ‘ ।
मधुशाला संसार ,है प्याला देह
प्राण है मधु -हाला,
गुरु बनकर हर देह में भरती
जीने का रस ‘मधुबाला‘।
ताजमहल वह बनवाती है ,
सरकारें गिरवाती है ,
वह मुमताज है , पामेला भी है ,
है मायावी ‘मधुबाला‘।
कर ना पाई कुछ अकबर के
नयनों की भीषण ज्वाला ,
‘ प्यार किया तो डरना क्या ‘
यह खुलकर गा गई ‘मधुबाला‘।
पांच हिस्सों में विविध मधुबाला-प्रसंग ,
प्रस्तुत है..मधुबाला- तीन

पुरुषों की प्रत्येक सफलता
के पीछे ‘मधुबाला‘ एक ,
नहीं चाहता कौन बताओ
‘मधुबाला‘ से प्याला एक ?
नए रूप में ,नए वेष में ,
युग युग में है ‘ मधुबाला ‘ ,
कालातीत है ,अविनासी है ,
सीमापार है ‘ मधुबाला ‘ ।
मधुशाला संसार ,है प्याला देह
प्राण है मधु -हाला,
गुरु बनकर हर देह में भरती
जीने का रस ‘मधुबाला‘।
ताजमहल वह बनवाती है ,
सरकारें गिरवाती है ,
वह मुमताज है , पामेला भी है ,
है मायावी ‘मधुबाला‘।
कर ना पाई कुछ अकबर के
नयनों की भीषण ज्वाला ,
‘ प्यार किया तो डरना क्या ‘
यह खुलकर गा गई ‘मधुबाला‘।
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